work definition in Hindi karya ka matrak
कार्य (Work)
- बल का उपयोग करके किसी वस्तु की विरामावस्था में परिवर्तन करना अथवा गतिशील वस्तु के वेग में परिवर्तन करना ही कार्य है ।
- वैज्ञानिक दृष्टि से किया गया बल एवं बल की दिशा में उत्पन्न विस्थापन के गुणनफल के बराबर होता है।
- जब आरोपित बल एवं वस्तु में उत्पन्न विस्थापन एक ही दिशा में हो तो किया गया कार्य बल एवं विस्थापन के गुणनफल के बराबर होता है| ध्यान रहे कि विस्थापन s वह विस्थापन है
work definition in Hindi karya ka matrak FAQ –
Q. कार्य का मात्रक है
(क) न्यूटन
(ख) जूल
(ग) वाट
(घ) इनमें से कोई नहीं
उत्तर ⇒ { (ख) जूल }
Q. का मात्रक है–
(क) न्यूटन
(ख) वाट
(ग) जूल
(घ) न्यूटन-मीटर
उत्तर ⇒ { (ख) वाट }
Q. पृथ्वी की ओर मुक्त रूप से गिरती हुई वस्तु की कुल ऊर्जा का मान
(क) बढ़ता जाता है।
(ख) घटता जाता है।
(ग) स्थिर रहता है।
(घ) शून्य हो जाता है।
उत्तर ⇒ { (ग) स्थिर रहता है। }
Q. यदि एक वस्तु का वेग दो गुना कर दिया जाए तो वस्तु की गतिज ऊर्जा कितनी होगी?
(क) एक-चौथाई
(ख) आधी
(ग) दोगुनी।
(घ) चार-गुनी
उत्तर ⇒ { (घ) चार-गुनी }
Q. विद्युत ऊर्जा का व्यावसायिक मात्रक है
(क) जूल
(ख) वाट-सेकण्ड
(ग) किलोवाट घण्टा
(घ) किलोवाट प्रति घण्टा
उत्तर ⇒ ???????
प्रश्न 1. कार्य की परिभाषा दीजिये एवं इसका मात्रक लिखिये।।
उत्तर- जब किसी वस्तु पर बल F लगाया जाये तथा इस बल से वस्तु में विस्थापन s हो तो बल द्वारा किया गया कार्य, बल और बल की दिशा में विस्थापन के गुणनफल के बराबर होता है।
अतः कार्य (W) = (F) x विस्थापन (S)
W = F.S
कार्य का मात्रक MKS पद्धति में जूल है।
प्रश्न 2. ऊर्जा क्या है ? ऊर्जा का मात्रक लिखिये।
उत्तर- किसी वस्तु के कार्य करने की क्षमता को ऊर्जा कहते हैं। ऊर्जा एक अदिश राशि है। ऊर्जा का मात्रक जल होता है।
प्रश्न 3. गतिज ऊर्जा से आप क्या समझते हैं ?
उत्तर- गतिज ऊर्जा-किसी वस्तु में उसकी गति के कारण निहित ऊर्जा को गतिज ऊर्जा कहते हैं। जैसे-उड़ता हुआ हवाई जहाज, नदी में बहता हुआ पानी आदि में कार्य करने की क्षमता उनमें विद्यमान गतिज ऊर्जा के कारण है।
प्रश्न 4. स्थितिज ऊर्जा क्या होती है?
उत्तर- वस्तु की स्थिति अथवा अवस्था के कारण वस्तु में विद्यमान ऊर्जा को स्थितिज ऊर्जा कहते हैं।
प्रश्न 5. ऊर्जा संरक्षण नियम बताइये।
उत्तर- इस नियम के अनुसार किसी विलगित निकाय की कुल ऊर्जा सदैव स्थिर रहती है। ऊर्जा न तो उत्पन्न की जा सकती है और न ही ऊर्जा को नष्ट किया जा सकता है। ऊर्जा को केवल एक रूप से दूसरे रूप में रूपान्तरित किया जा सकता है।
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