वायुमंडल में बढ़ती हुई हानिकारक गैसें जैसेकार्बन डाइऑक्साइड, कार्बन मोनोक्साइड, सल्फर डाइऑक्साइड आदि वायुमंडल की ऊपरी सतह पर जमकर पृथ्वी के तापमान में वृद्धि कर रही है। इसे ही
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प्रभाव कहते हैं। ये गैसें पृथ्वी से वापस लौटने वाली अवरक्त किरणों को रोककर वातावरण को गर्म करती है। यदि वैश्विक तापमान में वृद्धि इसी तरह से होती रहेगी तो ध्रुवों पर स्थित बर्फ पिघलने लगेगें और इसका सीधा प्रभाव समुद्री तटवर्ती शहरों पर पड़ेगा जो जलमग्न हो जाएगें। समुद्रों में स्थित कई द्वीप समूह का अस्तित्व ही समाप्त हो जाएगा। अतः ग्रीन हाउस प्रभाव आज की गंभीर पर्यावरणीय समस्या है।
ग्रीन हाउस गैस :-
सूर्य से आने वाली गर्म प्रकाश की किरणें जब पृथ्वी के वायुमंडल को पार कर देती हैं। तो वे प्रकाश किरणे पृथ्वी द्वारा परावर्तित होकर वायुमंडल में उपस्थिति धूल के कणों व अन्य गैसों द्वारा अवशोषित कर ली जाती है। तथा फिर वह उस्मा के रूप में बाहर निकलती है। जिससे पृथ्वी का वातावरण गर्म रहता है। और इसे ही ग्रीन हाउस प्रभाव कहते हैं। तथा जो गैस इन प्रकाश की किरणों को अवशोषित करती हैं ग्रीन हाउस गैस कहलाती हैं।
ग्रीनहाउस गैसों के संदर्भ में जानकारी :-
ग्रीनहाउस गैस का नाम
कार्बनिक नाम
पर्यावरण में इस गैस का प्रतिशत
भाप (Water vapor)
H2O
36-70%
कार्बनडाई ऑक्साइड
CO2
9-26%
मेथेन
CH4
4-9%
नाइट्रस ऑक्साइड (Nitrous oxide)
N2O
3-7%
ओज़ोन
O3
—
Chlorofluorocarbons
CFCs
—
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