Welcome To DailyEducation

DailyEducation is an open-source platform for educational updates and sharing knowledge with the World of Everyday students.

जल चक्र – जल चक्र की प्रक्रिया और महत्व (Water Cycle Definition in Hindi)

naveen

Moderator

जलीय चक्र (Water Cycle Definition in Hindi)

  • इसे जल चक्र भी कहते हैं । इसमें जल की गति और परिवर्तन सम्मिलित उसका गैस, तरल और ठोस अवस्था रहता है। इसकी मुख्य प्रक्रिया संघनन है । जिसके द्वारा वर्षा होती है। पृथ्वी पर अथवा भूमिगत जल का संचयन और प्रवाह, वाष्पीकरण और आर्द्रता का वाहन सम्मिलित है । अतः जलीय चक्र में जल की जल मण्डल, वायु मण्डल तथा स्थल मण्डल पर नियमित चक्रीय अवस्था को सम्मिलित किया जाता है । संघनन एवं वाष्पीकरण के बारे में हम पूर्व के अध्याय में पढ़ चुके हैं।
  • जल सागरों, झीलों, नदियों, स्थल भाग, पौधों आदि से वाष्पीकरण एवं वाष्पोत्सर्जन द्वारा वायु मण्डल में पहुँचाता है तथा बदलती मौसमी दशाओं के अन्तर्गत संघनन द्वारा बादल बनकर यह जलराशि पुनः वर्षा के रूप में जल मण्डल तथा स्थल मण्डल पर पहुँचती है ।
  • जल की विभिन्न रूपों में सम्पन्न होने वाली चक्रीय अवस्थाएँ कहलाती है। जल चक्र में जल का परिसंचरण विभिन्न परिमण्डलों में भी स्वतंत्र रूप से होता है । इसमें वायुमण्डल में वायु का उर्ध्वाधर तथा क्षैतिज परिसंचरण एक स्थान से दूसरे स्थान पर नमी का स्थानान्तरण, जल मण्डल में सागरीय धाराओं द्वारा जल संचलन तथा स्थल मण्डल से नदियों एवं हिमनदों द्वारा जल सागरों की ओर जाता है। इसी प्रकार मृदा से एवं पौधों द्वारा वाष्पोत्सर्जित स्थल से अन्तः स्पन्दन द्वारा भूमि में पहुँचाता है । प्रतिवर्ष पृथ्वी पर उपलब्ध जल का 1 प्रतिशत जल ही जलीय चक्र में संचारित होता है । जल चक्र में सहभागी जल का बड़ा भाग ही शुद्ध जल है । शेष भाग स्थायी हिम के रूप में जमा हुआ है। जल चक्र में नदियों की महत्वपूर्ण भूमिका है क्योंकि स्थल से तथा सागरों की ओर जल को प्रवाहित करती है । अतः महासागरों, हिम टोपियों तथा शैलों में जल लम्बे समय तक संचित रहता है, जबकि नदियों तथा वायु मण्डल में कम समय तक ही संचय रह पाता है।

जल चक्र की क्रियाविधि :

  • जल का वाष्प में परिवर्तित होकर वायु मण्डल में जमा होना अत्यन्त महत्वपूर्ण प्रक्रिया है जिस पर मौसम परिवर्तन निर्भर करता है। पृथ्वी पर संचालित होने वाले जल चक्र के मध्य अनेक ऐसे अभिकरण होते हैं जो जल की गतिशीलता को प्रभावित करते हैं। सूर्य से प्राप्त उर्जा के कारण महासागरों का जल वाष्प का रूप धारण कर वायुमण्डल में प्रवेश करता है। महासागरों से स्थल की ओर चलने वाली पवन इस जलवाष्प को गति देती है तथा उनको एक स्थान से दूसरे स्थान की ओर स्थानान्तरित करती है। इससे जलवाष्प संघनित होकर धरातल पर वर्षा कराती है तथा वर्षा से प्राप्त जल नदी-नालों के रूप में धरातल पर बहुता हुआ अन्त में सागरों में पहुँचता है । इस प्रकार वर्षा से प्राप्त इस जल का कुछ भाग वनस्पतियों द्वारा वाष्पोत्सर्जन होने से कम हो जाता है तथा कुछ जल नदियों, झीलों, तालाबों आदि से वाष्पीकरण द्वारा पुनः वायु मण्डल में पहुँच जाता है।

जलीय चक्र की प्रमुख अवस्थाएँ –


इसकी तीन प्रमुख अवस्थाएँ होती है।

(1) वाष्पीकरण तथा वाष्पोत्सर्जन – इनके द्वारा जल धरातल से वायु मण्डल में पहुँचता है।
(2) वर्षण – इसके द्वारा जल वायु मण्डल से पुनः पृथ्वी की सतह पर पहुँचता है ।
(3) वायु संचरण – इसमें पवनें तथा मौसम तंत्र को शामिल किया गया है, जिसके द्वारा वायु मण्डल में जल का एक स्थान से दूसरे स्थान पर पुनः वितरण संभव होता है ।


प्रकृति में जलीय चक्र का महत्व :

  • जल का वाष्प में परिवर्तित होकर वायुमण्डल में जमा होना अत्यन्त महत्वपूर्ण प्रक्रिया है जिस पर मौसम परिवर्तन निर्भर करता है। अतः पृथ्वी तल पर जलीय चक्र अनेक जैविक क्रियाओं के लिए महत्वपूर्ण है, क्योंकि जलीय संचार के बिना जल संतुलन बिगड़ जाएगा, जिससे जीवन असंभव हो जाएगा। प्रकृति में जलीय चक्र मानव, वनस्पतियों, जलवायु एवं समस्त प्राणिजगत के लिए जीने का आधार है ।

जल चक्र FAQ –


जलीय चक्र (Hydrological cycle ) क्या है ?

  • वायुमंडलीय आर्द्रता का निरंतर आदान प्रदान होता रहता क्योंकि वाष्पीकरण और वाष्पोत्सर्जन की क्रियाएं जल को वाष्प में एवं संघनन की क्रियाएं वाष्प को जल में बदलती रहती है। जल वाष्प के इस आदान प्रदान को जलीय चक्र कहते हैं।

The post appeared first on .
 
Back
Top
AdBlock Detected

We get it, advertisements are annoying!

Sure, ad-blocking software does a great job at blocking ads, but it also blocks useful features of our website. For the best site experience please disable your AdBlocker.

I've Disabled AdBlock