चक्रवाती वर्षा (Cyclonic rainfall)
चक्रवातीय वर्षा
चक्रवातीय वर्षाः यह वर्षा शीत प्रधान देशों में होती है। इसमें चक्रवातों से होती है । चक्रवातों में वायु केन्द्र की ओर तेजी से बढ़ती है और ऊपर उठने लगती है । समुद्र से होकर आने के कारण यह वायु जलवाष्प से भरी होती है । अतः जब ठण्डी ध्रुवीय वायु इसके सम्पर्क में आती है तब बीच में एक प्रकार का वाताग्र बन जाता है और वाष्पयुक्त गर्म वायु ठण्डी होकर वर्षा करती है जिसे चक्रवातीय वर्षा कहते हैं । यह वर्षा मूसलाधार नहीं होती बल्कि सालभर हल्की फुहारों के रूप में होती है। इस प्रकार की वर्षा शीतोष्ण कटिबंधीय चक्रवातों के क्षेत्रों में होती है । शीत ऋतु में उत्तर पश्चिम भारत में भी चक्रवातों द्वारा वर्षा होती है।
समवृष्टि रेखाएँ:
- संसार के मानचित्र पर समान वर्षा वाले स्थानों को मिलाती हुई जो खींची जाती है उन्हें ‘समवृष्टि रेखाएँ’ या ‘समवर्षा रेखाएँ’ (Isohyets) कहते हैं ।
वर्षामापीः
- वर्षा की माप एक विशेष प्रकार के यंत्र से होती है जिसे ‘वर्षामापी यंत्र’ (Rain gauge) कहते हैं। वर्षा इंचों या मिलिमीटरों में मापी जाती है।
वर्षा पर प्रभाव डालने वाले प्रमुख कारक
- (i) अक्षांश
- (ii) ऊँचाई
- (iii) प्रचलित पवनें
- (iv) जल धाराएँ
- (v) समुद्र से दूरी
- (iv) जल व स्थल की स्थिति
- (vii) पर्वत श्रेणियों की दिशा इत्यादि ।
चक्रवाती वर्षा (Cyclonic rainfall) FAQ –
प्रश्न :- चक्रवातीय वर्षा किसे कहते हैं?Ans – चक्रवातों की सृष्टि के कारण यह वर्षा होती है, अतः इसे चक्रवातीय वर्षा कहते हैं । शीतोष्ण क्षेत्रों में वर्षा का यह प्रकार विस्तृत रूप में देखने को मिलता है ।
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